स्पष्टीकरण
निवेदन पवित्र कबीर सागर जो वर्तमान में हमें प्राप्त है, उसको कबीर पंथी भारत पथिक स्वामी युगलानंद (बिहारी) द्वारा परिष्कत यानि संशोधित किया गया है। कबीर सागर के अध्याय "अनुराग सागर" की प्रस्तावना में तथा ज्ञान प्रकाश" के पष्ठ 37 के नीचे संशोधनकर्ता की टिप्पणी में लिखा है कि "अनुराग सागर की मेरे पास 46 हस्तलिखित प्रतियाँ रखी हैं जिनमें आपस में बहुत भिन्नता है। कोई भी एक दूसरे से मेल नहीं खाती सबसे निष्कर्ष निकालकर में यह ग्रन्थ "कबीर सागर" छपवा रहा हूँ। सन् 01-04-1914 (वैशाख बदी 8 विक्रमी संवत् 1971) में यह कबीर सागर छपा है।
अध्याय "ज्ञान प्रकाश" के पष्ठ 37 के नीचे की टिप्पणी में लिखा है कि प्रत्येक प्रति के लेखक साहेबान ने अपनी महिमा मंडन के लिए ग्रन्थों में अपनी बुद्धि के अनुसार परिवर्तन किया है जिस कारण से कबीर पंथ के ग्रन्थों की दुर्दशा हुई है। मैंने (स्वामी युगलानन्द जी ने बहुत परिश्रम करके यह कबीर सागर संशोधित किया है। जो वर्तमान में छपी है, वह श्री उग्रनाम साहेब के पास जो प्रति थी, उसी को छपवाया है यानि रान 01-04-1914 को छपा है। उपरोक्त प्रकरण से सिद्ध है कि कबीर सागर में ज्ञानहीन महंतों ने कुछ मिलावट या काँटछाँट की है।
यह उनका अपना अज्ञान अनुभव था परंतु "सागर होने के कारण कबीर जी के ज्ञान को समाप्त नहीं कर पाए। बीच-बीच में तथा कहीं पूरे अध्याय में सच्चाई शेष है उसकी सत्यता संत गरीबदास जी गाँव-छुड़ानी (जिला-झज्जर, हरियाणा) वाले के 'सत्य-अन्य' से होती है जिसमें कोई काँटछाँट या मिलावट नहीं है। अपने तत्वज्ञान को पुनः मानव समाज को प्रदान करने के लिए परमेश्वर कबीर जी ने अपनी प्यारी आत्मा संत गरीबदास जी को संत धर्मदास जी की तरह सत्यलोक के दर्शन करवाकर उनमें यथार्थ आध्यात्मिक ज्ञान भर दिया था जो संत गरीबदास जी ने परमेश्वर कबीर जी व उनकी संरचना तथा सत्यलोक को आँखों देखकर गवाह (Witness) बनकर अभंतवाणी बोलकर लिखवाया है जो दादू पंथी श्री गोपाल दास जी ने लिखा था जिसकी हस्तलिखित कॉपी भी हमारे पास उपलब्ध है तथा प्रेस द्वारा छपा हुआ ग्रन्थ भी है उससे तुलना करके जो प्रकरण कबीर सागर में मिलता है। वह मैंने सत्य माना है। उसी को आधार बनाकर सत्संग करता हूँ तथा पुस्तकें भी बनाई हैं। कबीर सागर के सरलार्थ में भी यही आधार माना है। जहाँ-जहाँ कबीर सागर में मिलावट की गई है, उसको पुराने कबीर सागर तथा उपरोक्त प्रमाणों से ठीक किया है।
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