वेदों के अनुसार पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब है जब संसार में हाहाकार मच जाता है भक्ति व धर्म का हृास ,(नाश) होने लगता हैतब पूर्ण परमात्मा को कुछ उग्र गतियां प्रेरणा करती हैं
तब परमात्मा अपने तेजोमय शरीर को सरल करके बिजली के समान तेज गति से आता है और ज्ञानी व पवित्र आत्माओं के संकटों का मर्दन(नाश) करता हुआ उन्हें प्राप्त होता है
पूर्ण परमात्मा तीन प्रकार का शरीर धारण करता है
1 तेजोमय शरीर जो प्रकाशपुंज(भाष्मान)का होता है जिसके एक रोम कुप की शोभा करोड़ों सूर्या और करोड़ों चंद्रमा के समान होती है अपने शरीर को सरल करता हुआ भक्तों को मिलता है
2 दूसरी प्रकार मैं पूर्ण परमात्मा नवजात शिशु के रूप में किसी निसंतान दंपत्ति को प्राप्त होता है और उसकी परवरिश कुंवारी गायों के दूध द्वारा की जाती है आज से लगभग 650 वर्ष पूर्व काशी में परमात्मा ने अपने वास्तविक नाम कबीर के रूप में ऐसी ही लीला की थी जब वह नीरू नीमा नामक निसंतान दंपत्ति को लहरतारा नामक तलाब पर शिशु रूप में मिले थे जिसका वर्णन कबीर सागर में भी है।
3 पूर्ण परमात्मा किसी जिंदा साधु के रूप में भक्त आत्माओं को प्राप्त होता है उन्हें तत्वज्ञान का बोध कराता है और सद्भक्ति प्रदान करके अपने अपने निज धाम सतलोक धाम चला जाता है।।
अपने जिंदा महात्मा वाले रूप में पूर्ण परमात्मा धनी धर्मदास को बांधव गढ़ में मिले थे और उनको सत भक्ति ज्ञान का बोध कराया सतलोक लेकर गये और बाद में पृथ्वी पर छोड़ दिया
ऐसा ही संत गरीबदास जी महाराज के साथ हुआ सतलोक लेकर गए फिर वापस छोड़ दिया जिसके पश्चात गरीब दास जी महाराज ने पूर्ण परमात्मा की महिमा को कलम तोड़ लिखा
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