समाज में गिरती मानवता के कारण प्रतिदिन हो रहे यौन अपराधों, महिला उत्पीड़न, हत्याएं, सरकारी अधिकारियों व कर्मचारियों द्वारा किया जा रहा भ्रष्टाचार, बैंक घोटाले ,दहेज के कारण आत्महत्या, नशीली वस्तुओं के सेवन से युवा वर्ग नष्ट हो रहे हैं इन सभी के समाधान के लिए संत रामपाल दास जी द्वारा रचित पुस्तक पढ़ें
"जीने की राह"
क्या है "जीने की राह" आओ जाने इसके बारे
यदि इस पुस्तक को देश के विद्यालयों,विश्वविद्यालयों में पाठ्यक्रम के एक विषय के रूप में लगाया जाए तो समाज में फैली प्रत्येक बुराई समाप्त हो जाएगी यह अतिशयोक्ति नहीं होगी।
संस्कृति पुनः जीवित होकर देश की जनता सुखमय जीवन जिएगी। जनता परमात्मा से डरने वाली, शुभ कर्म करने वाली, बन जाएगी । यौन अपराध, नशाखोरी, जुआ ,डाके, चोरी, दहेज प्रथा, घर की तकरार ,कलह, क्लेश को छोड़कर आपसी भाईचारा एवं एक दूसरे का दुख: साझा करना, परमात्मा और, उसके विधान के बारे में चर्चा करना, शिष्टाचार करना मानव समाज की परंपरा बन जाएगी और माता पिता के प्रति बच्चों का बिगड़ा स्वभाव समाप्त होकर उनकी सेवा करने का मन बनेगा चरित्र निर्माण होगा।
"जीने की राह " के कुछ अंश प्रस्तुत करते हैं:-
1 सर्वप्रथम भूमिका से ही स्पष्ट है जिसमें लिखा है "जीने की राह" पुस्तक घर घर में रखने योग्य इसके पढ़ने मात्र से लोक तथा परलोक दोनों में सुखी रहोगे।
2 इसके पश्चात दो शब्द तथा पुस्तक का प्रकरण प्रारंभ होता है। जिसमें लिखा है। कि मानव (स्त्री पुरुष ) का क्या उद्देश्य भक्ति करना है। भक्ति न करने से हानि तथा भक्ति करने से लाभ का वर्णन प्रभावी ढंग से लिखा है । जो आत्मा को झकझोर के रख देता है। इंसान बुराइयों को त्याग कर परमात्मा की ओर मुड़ जाता है।
कुछ अंश-:-वर्तमान जीवन में देखते हैं कि कोई इतना निर्धन है कि बच्चों का पालन पोषण भी कठिनाई से कर पा रहा है एक इतना धनी है कि कई कई कार तथा कोठियां उसके पास है एक रिक्शा खींच रहा है एक मनुष्य उसमे बैठा जा रहा है एक सिपाही लगा है तो एक पुलिस डीजीपी लगा है कोई मंत्री ,मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री, जज़, डीसी, कमिश्नर , राष्ट्रपति आदि की पदवी प्राप्त है। इसका कारण है कि जिस जिस ने पूर्व मानव ( स्त्री पुरुष )के जन्म में जैसी जैसी भक्ति व तप, दान, धर्म, शुभ कर्म, तथा अशुभ कर्म किये उनके परिणाम स्वरूप उपरोक्त (मनुष्य जन्म) की स्थिति प्राप्त होती है पूर्व जन्म में की गई भक्ति के कारण ही अगला जन्म मिलता हैं मानव जीवन में सत्य भक्ति शुभ कर्म नहीं करोगे तो अगले जन्म में पशु पक्षी आदि का जीवन प्राप्त करके महा कष्ट उठाएंगे । जैसे एक इनवर्टर की बैटरी जितनी चार्ज होती है उतने ही देर तक सभी सुविधाएं देती है इसी प्रकार जब डिस्चार्ज हो जाती है तो सभी सुविधाएं बंद कर देती हैं जैसे पंखा चलाना आदि आदि ठीक उसी प्रकार पूर्व जन्म में आत्मा को भक्ति से जितना चार्ज कर रखा है। उसी अनुसार अगले जन्म में सुविधा प्राप्त होती है।
राजा लोग भी आपत्ति के समय परमात्मा से ही आपत्ति निवारण की इच्छा से साधु-संतों से आशीर्वाद प्राप्त करके सुखी होते हैं। सामान्य व्यक्ति को भी परमात्मा की भक्ति करके सुखी होना चाहिए। जो व्यक्ति परमात्मा की शरण में सच्चे गुरु से दीक्षा लेकर नाम जाप करता है भक्ति के साथ -साथ काम धंधा भी करता है परमात्मा उसकी हर तरह से रक्षा करता है।
वेदों में भी प्रमाण है कि परमात्मा अपने भगत के संकट निवारण करता है यदि मृत्यु भी आ जाए तो उसको टाल कर जीवित करके सौ वर्ष जीवन का प्रदान कर देता है ,(ऋग्वेद मंडल 10 ,सूक्त 161, मंत्र 2 )में प्रमाण है।
परमात्मा पाप का नाश करके पाप रूपी कांटे को निकालकर मार्ग में आने वाले गड्ढों को सुगम कर देता है (यजुर्वेद अध्याय 8 मंत्र 13) में लिखा है कि परमात्मा साधक के पूर्व जन्म में किए पाप तथा इस जन्म में किये पापों का नाश करके सुखी कर देता है। सूक्ष्म वेद में लिखा है:-
कबीर, जब ही सतनाम हृदय धरो, भयो पाप को नाश। जैसे चिंगारी अग्नि की ,पड़ी पुराने घास।
पाप के कारण दुख होता है। पाप नष्ट होने से सभी सुखी हो जाता है।
पुस्तक "जीने की राह" पढ़ने से आत्मा को अध्यात्मिक का संपूर्ण ज्ञान होगा। मानव स्वभाव बदल जाएगा। इंसानियत (मानवता) पुनः पनप जाएगी। लोग पापों से डरेंगे , शुभ कर्म करेंगे ऐसे- ऐसे अनेकों ह्रदय छूने वाले प्रकरण पुस्तक में भरे पड़े हैं।
"जीने की राह" पुस्तक में बताया गया है कि वर्तमान में बच्चों को अच्छे विचार नहीं मिल रहे हैं पूर्व काल में बुजुर्ग व्यक्ति युवाओं तथा बच्चों को किसी बहाने से अपने पास बैठाते थे। और समाज व गांव में घटी बुरी घटनाओं के बुरे परिणामों से अवगत कराया करते थे । यू सुना है कि गांव के एक जवान लड़के ने एक लड़की के साथ छेड़छाड़ कर दी। लड़की वालों ने लड़के के साथ मारपीट कर दी। बिना कारण जानने लड़के वालों ने लड़की वालों से झगड़ा कर लिया और बात बढ़ गई।लड़के वालों के दो व्यक्ति मर गए लड़की वालों का एक मर गया दोनों पक्षों के कई कई लोग घायल हो गए। तीसरा बुजुर्ग कहता है हे भाई कैसा कुपूत पैदा हो गया है । तीन मानुष खा गया ।ऐसे पुत्र से बेऔलाद रह ले। कैसा खोटा जमाना आ गया ? लड़के ने जुलम कर दिया अपने गांव की इज्जत के साथ खिलवाड़ कर दिया । ऐसा कर्म कोई बालक ना करें। इसी वजह से किसी बहन बेटी को आंख उठाकर नही देखते थे।
पुस्तक" जीने की राह" से बुजुर्गों वाली शिक्षा मिलती है। इसे पढ़ने के पश्चात कोई व्यक्ति दुराचार (बलात्कार) और छेड़छाड़ करना तो दूर की बात सोचेगा भी नहीं। इस पुस्तक को निशुल्क प्राप्त करने के लिए निचे दिए नम्बरो पर सम्पर्क कर सकते हैं।7027000825, ..26,..27 8222880541,..42 ,..543,..44,...45
विवाह कैसे करें
विवाह कैसे करें:- इस पुस्तक में पढ़ने से आत्मा को ऐसा झटका लगता है
कि पूछो मत जनाब____
प्रेम विवाह:- के लिए बताया गया है कि की अपने गोत्र में न करें, अपने गांव में न करें , वर्जित गोत्र, तथा वर्जित क्षेत्र में ना करें ।अच्छा रहे की विवाह की बात मात-पिता पर ही छोड़ दें। प्रेम विवाह से हानि ।तथा सामाजिक सहमति से किए गए विवाह के लाभ का हृदय छूने वाला सटीक विवरण बताया है जिसको पढ़ने से युवा वर्ग यह गलती कभी नहीं करेगा ।समाज में शांति रहेगी ऑनर किलिंग समाप्त हो जाएगी मुकदमे बाजी भी समाप्त हो जाएगी
लड़की को अपने पसंद का जीवनसाथी चुनने की आजादी सदा से रही है परंतु प्रेम विवाह का रोग नहीं था इक्का-दुक्का प्रमाण किसी युग में मिलता है जैसे हीर रांझा परंतु ये जोड़े कभी सुखी नहीं रहे ।विवाह सुखपूर्वक जीवन व्यतीत करने के लिए व अपना वंश बढ़ाने के लिए किया जाता है ।अपनी पसंद का वर चुनने की आजादी वर्तमान में भी है लड़की को लड़का दिखाया जाता है दिखाना भी चाहिए दोनों अपनी मर्जी से हां करें ।अंतरजातीय विवाह कर सकते हैं। हमारा नारा है---
" जीव हमारी जाति है मानव धर्म हमारा।
हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई धर्म नहीं कोई न्यारा"।। प्राणी की जाति जीव है
क्योंकि मानव, देवता तथा अन्य पशु ,पक्षी सब जंतु जीव है। मानव श्रेणी के जीव होने के नाते मानवता हमारा धर्म है यानि परमात्मा ने मानव को समझ दी है उसको शुभ कर्म करने चाहिए पशु पक्षियों की तरह एक दूसरे से छीन कर, दुर्लभ को मार कर अपना स्वार्थ सिद्ध नहीं करना चाहिए। एक दूसरे का सहयोग करना चाहिए यह हमारा धर्म है। जितने धर्म विश्व में है सब में मानव है किसी में भी अन्य प्राणी नहीं है इसलिए हम सबको मानव धर्म का पालन करना चाहिए। हम सब एक परमपिता की संतान हैं इस प्रकार के अनेकों प्रकरण तथा हिदायतें पुस्तक "जीने की राह" में लिखे हैं जिनको पढ़ने से अधिक आनंद व समझ आएगा।
चरित्र निर्माण:-पुस्तक "जीने की राह"में अनेकों कथाएं तथा उदाहरण दिए हैं जिनको पढ़कर स्त्री-पुरुष , जवान लड़के लड़कियां कभी चरित्र हनन नहीं कर सकते उनको पता चलेगा कि चरित्र की कितनी कीमत है। चरित्रहीन स्त्री पुरुष को किसी भी समाज में सम्मान नहीं मिलता।
पुस्तक "जीने की राह" में लिखा है कि --
एक चरित्रवान पुरुष की परीक्षा के लिए एक राजा ने एक सुंदर जवान स्त्री को रात्रि में उस पुरुष के कक्ष में भेजा। स्त्री उस महापुरुष के बिस्तर पर बैठ गई वह खड़ा हो गया। और बोला हे बहन ! हे बेटी! आप बाहर जाइए आप अपने कुल और अपने माता-पिता की इज्जत की ओर देखो। आपके चरित्रहीन होने की खबर सुनकर वे समाज में मुंह दिखाने के लायक नहीं रहेंगे। देश के राजा भी दुखी होंगे कि मेरी प्रजा रूप बेटी चरित्रहीन कैसे हो गई (राजा प्रजा का पिता होता है वह चाहता है कि प्रजा जन कोई ऐसी गलती ना करें जिससे राज्य में उत्पात मचे) वह स्त्री फिर भी उस कक्ष से बाहर नहीं गई। वह महापुरुष स्वयं बाहर चला गया। फिर वह स्त्री भी चली गई । सुबह स्त्री ने राजा को बताया कि हे राजन! वह परम जति पुरुष है। सत सत चरित्र का वर्णन भी इस पुस्तक "जीने की राह" में मिलता है।
पुत्र का पिता के प्रति कर्तव्य तथा पिता का पुत्र के प्रति कर्तव्य :-पुस्तक "जीने की राह" में एक ऐसी कथा है जिसमें बताया गया है कि पिता का बच्चों के प्रति कैसा भाव होना चाहिए। और पिता के प्रति बच्चों की क्या भावना होना चाहिेए।
सत्संग सुनने का महत्व :- कैसे पहले पुत्र वधू अपने ससुर की सेवा नहीं करती थी सूखी रोटियां देती थी सत्संग विचार सुनने के पश्चात पुत्र वधू भी अपने ससुर की सेवा करने लगी (सास की मृत्यु) हो चुकी थी बेटा भी नालायक था उसमें सुधार हो गया घर स्वर्ग बन गया। इस कथा को पढ़कर पुत्रवधू अपने ससुर की सेवा माता पिता की तरह करेंगे पुत्र भी आज्ञाकारी हो जाएंगे। घर स्वर्ग बन जाएगा।
पुत्र तथा पुत्री में अंतर रह समझें;-
पवित्र पुस्तक "जीने की राह" में यह प्रसंग ऐसा है जिसको पढ़ने के बाद पुत्र पुत्री में भेद वाली दुर्बुद्धि सदा के लिए समाप्त हो जाती है जिस कारण से बेटियां की गर्भ में की जा रही हत्या को पूर्ण विराम लगेगा।पुत्र प्राप्ति ना होने से आहत दंपत्ति को विशेष हिम्मत मिलेगी।
पुस्तक "जीने की राह" में यह प्रसंग ऐसा तार्किक है कि जो पति पत्नी संतान न होने के कारण अपने आपको समाज में अलग-थलग महसूस करते हैं उनके विषय में ऐसा उत्तर दिया है जिसको पढ़ कर निसंतान दंपती संतान वालों से भी श्रेष्ठ मशहूर करेंगे।
"जीने की राह" में शास्त्रों तथा संतों की वाणी से तर्क व प्रमाणों के साथ नशा निषेध के विषय में लिखा है जिसको पढ़ कर कोई मनुष्य भविष्य में तमाकू, सुल्फा, शराब , तथा अन्य किसी प्रकार का नशा नहीं करेगा 99% पाठक नशे से अवश्य परहेज करेंगे।
घर की कलह समाप्त हो जाती है
घर में आपसी तू तू मैं-मैं समाप्त कर के प्यार से जीवन जीते हैं।।
पुस्तक "जीने की राह" में अद्वितीय दिव्य आध्यात्मिक ज्ञान- विज्ञान है जो सर्व धर्मों के शास्त्रों से प्रमाणित है जैसे गीता अध्याय 16 श्लोक 23व 24 में कहा है कि जो साधक शास्त्र विधि को त्याग कर अपनी इच्छा से मनमाना आचरण करते हैं जो भक्ति के मंत्र व यज्ञ आदि शास्त्रों में नहीं हैं उनको जाप करते हैं उनको ने तो सुख की प्राप्ति होती है ना सिद्धि यानी भक्ति की शक्ति जो सब कार्य सिद्ध करती है तथा न उनकी मूक्ति यानी होती है ऐसी साधना से व्यक्ति का अनमोल मानव जीवन नष्ट हो जाता है श्रीमद भगवत गीता अध्याय 16 श्लोक 24 में कहा है कि इससे तेरे लिए कर्तव्य यानी जो भक्ति व साधना करनी चाहिए तथा अकर्तव्य जो साधना नहीं करनी चाहिए । इसके लिए शास्त्र ही प्रमाण है।
संत रामपाल जी महाराज का मुख्य उद्देश्य
यह है कि प्रत्येक गांव व शहर में विशाल सत्संग स्थल बनाए जहां पर प्रति शनिवार रविवार को संत रामपाल दास जी के सत्संग की डी वी डी के माध्यम से एलईडी पर सत्संग चलाए जाएं।
जो बुजुर्ग अपने आप कोअकेला तथा असहाय समझते । और अब पुत्रों तथा पुत्र वधूओ की निंदा के स्थान पर परमात्मा की चर्चा करें जो वृद्ध आश्रम में रहना चाहे वह रहे उनकी सेवा आश्रम के सेवादार करेंगे। उनको परमात्मा के विधान का ज्ञान होता है। वह सब को अपना मानते हैं।
उस वृद्धावस्था में उन वरिष्ठ नागरिकों को भी पता चल जाता है । कि अपना कौन है ।क्योंकि सत्संग में यही निर्णय मिलता है इस प्रकार मानव जीवन सरल होकर आपसे भाईचारा और प्रेम बढ़ेगा धरती स्वर्ग बन जाएगी यह एक जनहित का कार्य है। सत साहिब जी
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